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बंधन....

मुझे बाँधना कभी ना आया हमेशा मुक्त करना आया.... जब लगा कि कोई स्नेह,ईमानदारी और विश्वास को लेकर नहीं चल पा रहा है,तो उसे मुक्त कर दिया बड़े आदर के साथ...।

दोस्ती....!!!

दोस्ती, सर्वोपरि है पर रिश्ते उससे भी कहीं ऊपर... अक्सर दोस्ती ओर दोस्ती के नाम पर किये छल रिश्तों को निगल जाते है....

बुनियाद....

हमेशा से सुनते आए हैं,साथ छोड़कर वही जाता है जो गलत होता है ओर अंत तक साथ वही होता है जो सही होता है । पर अब लगता है,छोड़ता या जाता वही है जो सही होता है प्योर होता है.... संबंधों का आधार या रिश्ते की बुनियाद ही तय करती है रिश्तों का साथ चलना...यदि बुनियाद ही भुरभुरी ईंटों से बनी हो तो इमारत तो ढहेगी ही । PS--रिश्ते एकतरफा मामले नहीं होते ...एक रिश्ता बनाने और उसे निभाने में दोनों पक्षो की भूमिका बराबर होती है । #lifelession

जुगनू...

 कुछ लोग जुगनू की तरह होते हैं....थोड़े समय के लिए हमारी जिन्दगी में शामिल होते हैं,फिर अपनी रोशनी को समेट, कहीं दूर निकल जाते हैं...कहाँ!! नहीं पता....पर हाँ दुबारा फिर कभी नहीं दिखते ।

समर्पण....

समर्पण....चार अक्षर जिसमे सब समाहित ,एक पूर्णविराम...जिसके बाद ना कोई चाह ना अपेक्षाएँ....।